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"दोहराया अनुभव / अवतार एनगिल" के अवतरणों में अंतर
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<poem>नंगे पांव चली दूधिया नदी ने | <poem>नंगे पांव चली दूधिया नदी ने |
14:00, 16 सितम्बर 2009 का अवतरण
नंगे पांव चली दूधिया नदी ने
कर ली
आग से दोस्ती
धृत सुगंध में
लपटों सखियों का नाच
जलना : तत्वों का रूप पलायन
तलाश : गति के अर्थ की
बोझिल पाँव : ख़्यालों के
ख़्यालों के बिखरे टुकड़ों में
आलिंगनों की एकाग्र समग्रता
उन्मादी आंखें
सम्पूर्ण अधूरापन
दे जाते हैं दोनों को
मिट्टी का इक बाबा
चिर आकांक्षित
दोहराया अनुभव।