भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मैं कल रात नहीं रोया था / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
लेखक: [[हरिवंशराय बच्चन]]
+
{{KKGlobal}}
[[Category:कविताएँ]]
+
{{KKRachna
[[Category:हरिवंशराय बच्चन]]
+
|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन
 +
|संग्रह= निशा निमंत्रण / हरिवंशराय बच्चन
 +
}}
 +
 
 +
मैं कल रात नहीं रोया था
  
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
 
  
 
दुख सब जीवन के विस्मृत कर,<br>
 
दुख सब जीवन के विस्मृत कर,<br>

03:17, 16 जुलाई 2008 का अवतरण

मैं कल रात नहीं रोया था


दुख सब जीवन के विस्मृत कर,
तेरे वक्षस्थल पर सिर धर,
तेरी गोदी में चिड़िया के बच्चे-सा छिपकर सोया था!
मैं कल रात नहीं रोया था!

प्यार-भरे उपवन में घूमा,
फल खाए, फूलों को चूमा,
कल दुर्दिन का भार न अपने पंखो पर मैं ने ढोया था!
मैं कल रात नहीं रोया था!

आँसू के दाने बरसाकर
किन आँखो ने तेरे उर पर
ऐसे सपनों के मधुवन का मधुमय बीज, बता, बोया था!
मैं कल रात नहीं रोया था!