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बदलाव / अनिल जनविजय

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|रचनाकार=अनिल जनविजय
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{{KKCatKavita‎}}<Poem>
जब तक मैं कहता रहा
 
जीवन की कथा उदास
 
उबासियाँ आप लेते रहे
 
बैठे रहे मेरे पास
 
पर ज्यों ही शुरू किया मैं ने
 
सत्ता का झूठा यश-गान
 
सिर-माथे पर मुझे बैठाकर
 
किया आप ने मेरा मान
 (2004 में रचित)</poem>
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