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Kavita Kosh से
|रचनाकार=अनिल जनविजय
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जब तक मैं कहता रहा
जीवन की कथा उदास
उबासियाँ आप लेते रहे
बैठे रहे मेरे पास
पर ज्यों ही शुरू किया मैं ने
सत्ता का झूठा यश-गान
सिर-माथे पर मुझे बैठाकर
किया आप ने मेरा मान