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"लहर सागर का नहीं श्रृंगार / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर

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गन्ध कलिका का नहीं उदगार,<br>
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गन्ध कलिका का नहीं उद्गार,<br>
 
उसकी विकलता है;<br>
 
उसकी विकलता है;<br>
 
फूल मधुवन का नहीं गलहार,<br>
 
फूल मधुवन का नहीं गलहार,<br>

02:36, 30 सितम्बर 2009 का अवतरण

लहर सागर का नहीं श्रृंगार,
उसकी विकलता है;
अनिल अम्बर का नहीं, खिलवार
उसकी विकलता है;
विविध रूपों में हुआ साकार,
रंगो में सुरंजित,
मृत्तिका का यह नहीं संसार,
उसकी विकलता है।


गन्ध कलिका का नहीं उद्गार,
उसकी विकलता है;
फूल मधुवन का नहीं गलहार,
उसकी विकलता है;
कोकिला का कौन सा व्यवहार,
ऋतुपति को न भाया?
कूक कोयल की नहीं मनुहार,
उसकी विकलता है।


गान गायक का नहीं व्यापार,
उसकी विकलता है;
राग वीणा की नहीं झंकार,
उसकी विकलता है;
भावनाओं का मधुर आधार
सांसो से विनिर्मित,
गीत कवि-उर का नहीं उपहार,
उसकी विकलता है।