भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आस्था-4 / राजीव रंजन प्रसाद" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Rajeevnhpc102 (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: '''आस्था -४'''<br /> पागल हूं तो पत्थर मारो<br /> दीवाना हूँ हँस लो मुझपर<br /> म...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{KKGlobal}} | |
− | + | {{KKRachna | |
− | पागल | + | |रचनाकार=राजीव रंजन प्रसाद |
− | दीवाना हूँ हँस लो | + | |संग्रह= |
− | मुझे तुम्हारी नादानी से | + | }} |
− | और | + | {{KKCatKavita}} |
+ | <poem> | ||
+ | पागल हूँ तो पत्थर मारो | ||
+ | दीवाना हूँ हँस लो मुझ पर | ||
+ | मुझे तुम्हारी नादानी से | ||
+ | और आस्थाएँ गढनी हैं... | ||
+ | </poem> |
15:55, 30 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण
पागल हूँ तो पत्थर मारो
दीवाना हूँ हँस लो मुझ पर
मुझे तुम्हारी नादानी से
और आस्थाएँ गढनी हैं...