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"जहाँ से जो ख़ुद को / माखनलाल चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर
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ख़ुदी को मिटाकर | ख़ुदी को मिटाकर | ||
ख़ुदा देखते हैं । | ख़ुदा देखते हैं । | ||
− | फटी चिन्धियाँ पहिने | + | फटी चिन्धियाँ पहिने, |
भूखे भिखारी | भूखे भिखारी | ||
फ़कत जानते हैं | फ़कत जानते हैं | ||
− | तेरी इन्तज़ारी | + | तेरी इन्तज़ारी |
बिलखते हुए भी | बिलखते हुए भी | ||
अलख जग रहा है | अलख जग रहा है | ||
चिदानंद का | चिदानंद का | ||
ध्यान-सा लग रहा है । | ध्यान-सा लग रहा है । | ||
− | तेरी बाट देखूँ | + | तेरी बाट देखूँ, |
− | चने तो चुगा जा | + | चने तो चुगा जा, |
− | हैं फैले हुए पर | + | हैं फैले हुए पर, |
− | उन्हें कर लगा जा | + | उन्हें कर लगा जा, |
मैं तेरा ही हूँ इसकी | मैं तेरा ही हूँ इसकी | ||
− | साखी दिला जा | + | साखी दिला जा, |
ज़रा चुहचुहाहट | ज़रा चुहचुहाहट | ||
− | तो सुनने को आ जा | + | तो सुनने को आ जा, |
− | जो तु यों इछुड़ने-बिछुडने लगेगा | + | जो तु यों इछुड़ने- |
+ | बिछुडने लगेगा | ||
तो पिंजड़े का पंछी | तो पिंजड़े का पंछी | ||
भी उड़ने लगेगा । | भी उड़ने लगेगा । | ||
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00:54, 7 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
जहाँ से जो ख़ुद को
जुदा देखते हैं
ख़ुदी को मिटाकर
ख़ुदा देखते हैं ।
फटी चिन्धियाँ पहिने,
भूखे भिखारी
फ़कत जानते हैं
तेरी इन्तज़ारी
बिलखते हुए भी
अलख जग रहा है
चिदानंद का
ध्यान-सा लग रहा है ।
तेरी बाट देखूँ,
चने तो चुगा जा,
हैं फैले हुए पर,
उन्हें कर लगा जा,
मैं तेरा ही हूँ इसकी
साखी दिला जा,
ज़रा चुहचुहाहट
तो सुनने को आ जा,
जो तु यों इछुड़ने-
बिछुडने लगेगा
तो पिंजड़े का पंछी
भी उड़ने लगेगा ।