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"वसंत / सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर
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− | सौन्दर्य शिखाओं में अनंत | + | गृह, मग़, वन में आया वसंत |
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− | सौरभ की शीतल ज्वाला से | + | सौरभ की शीतल ज्वाला से |
− | फैला उर उर में मधुर दाह | + | फैला उर उर में मधुर दाह |
− | आया वसंत, भर पृथ्वी पर | + | आया वसंत, भर पृथ्वी पर |
− | स्वर्गिक सुंदरता का प्रवाह | + | स्वर्गिक सुंदरता का प्रवाह |
− | पल्लव पल्लव में नवल रूधिर | + | पल्लव पल्लव में नवल रूधिर |
− | पत्रों में मांसल रंग खिला | + | पत्रों में मांसल रंग खिला |
− | आया नीली पीली लौ से | + | आया नीली पीली लौ से |
− | पुष्पों के चित्रित दीप जला | + | पुष्पों के चित्रित दीप जला |
− | अधरों की लाली से चुपके | + | अधरों की लाली से चुपके |
− | कोमल गुलाब से गाल लजा | + | कोमल गुलाब से गाल लजा |
− | आया पंखड़ियों को काले- | + | आया पंखड़ियों को काले- |
− | पीले धब्बों से सहज सजा | + | पीले धब्बों से सहज सजा |
− | कलि के पलकों में मिलन स्वप्न | + | कलि के पलकों में मिलन स्वप्न |
− | अलि के अंतर में प्रणय गान | + | अलि के अंतर में प्रणय गान |
− | लेकर आया प्रेमी वसंत | + | लेकर आया प्रेमी वसंत |
− | आकुल जड़-चेतन स्नेह प्राण < | + | आकुल जड़-चेतन स्नेह प्राण |
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12:20, 13 अक्टूबर 2009 का अवतरण
चंचल पग दीपशिखा के धर
गृह, मग़, वन में आया वसंत
सुलगा फागुन का सूनापन
सौन्दर्य शिखाओं में अनंत
सौरभ की शीतल ज्वाला से
फैला उर उर में मधुर दाह
आया वसंत, भर पृथ्वी पर
स्वर्गिक सुंदरता का प्रवाह
पल्लव पल्लव में नवल रूधिर
पत्रों में मांसल रंग खिला
आया नीली पीली लौ से
पुष्पों के चित्रित दीप जला
अधरों की लाली से चुपके
कोमल गुलाब से गाल लजा
आया पंखड़ियों को काले-
पीले धब्बों से सहज सजा
कलि के पलकों में मिलन स्वप्न
अलि के अंतर में प्रणय गान
लेकर आया प्रेमी वसंत
आकुल जड़-चेतन स्नेह प्राण