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− | हम भी | + | हम भी लिख गये हैं तुम्हारी किताब में<br> |
− | गंगा के जल को ढाल न देना शराब में | + | गंगा के जल को ढाल न देना शराब में<br> |
− | हम से तो | + | हम से तो ज़िन्दगी की कहानी न बन सकी<br> |
− | सादे ही रह गये सभी पन्ने | + | सादे ही रह गये सभी पन्ने किताब में<br> |
− | + | दुनिया ने था किया कभी छोटा सा एक सवाल<br> | |
− | हमने तो | + | हमने तो ज़िन्दगी ही लुटा दी जवाब में<br> |
− | लेते न | + | लेते न मुँह जो फेर हमारी तरफ से आप<br> |
− | कुछ | + | कुछ ख़ूबियाँ भी देखते खा़नाख़राब में<br> |
− | कुछ बात है | + | कुछ बात है कि आपको आया है आज प्यार<br> |
− | देखा नहीं था ज्वार यों मोती के आब में | + | देखा नहीं था ज्वार यों मोती के आब में<br> |
− | हमने ग़ज़ल का और भी गौरव बढा़ | + | हमने ग़ज़ल का और भी गौरव बढा़ दिया<br> |
− | रंगत नयी तरह की जो भर दी गुलाब | + | रंगत नयी तरह की जो भर दी गुलाब में<br><br> |
00:26, 16 नवम्बर 2006 के समय का अवतरण
हम भी लिख गये हैं तुम्हारी किताब में
गंगा के जल को ढाल न देना शराब में
हम से तो ज़िन्दगी की कहानी न बन सकी
सादे ही रह गये सभी पन्ने किताब में
दुनिया ने था किया कभी छोटा सा एक सवाल
हमने तो ज़िन्दगी ही लुटा दी जवाब में
लेते न मुँह जो फेर हमारी तरफ से आप
कुछ ख़ूबियाँ भी देखते खा़नाख़राब में
कुछ बात है कि आपको आया है आज प्यार
देखा नहीं था ज्वार यों मोती के आब में
हमने ग़ज़ल का और भी गौरव बढा़ दिया
रंगत नयी तरह की जो भर दी गुलाब में