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"अब किसे चाहें किसे ढूँढा करें / बशीर बद्र" के अवतरणों में अंतर

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अब किसे चाहें किसे ढूँढा करें
 
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वो भी आख़िर मिल गया अब क्या करें
 
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हल्की हल्की बारिशें होती रहें
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हल्की-हल्की बारिशें होती रहें
 
हम भी फूलों की तरह भीगा करें
 
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देर तक बैठे उसे सोचा करें
 
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दिल मुहब्बत दीन दुनिया शायरी
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दिल मुहब्बत दीन-दुनिया शायरी
 
हर दरीचे से तुझे देखा करें
 
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21:21, 15 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

अब किसे चाहें किसे ढूँढा करें
वो भी आख़िर मिल गया अब क्या करें

हल्की-हल्की बारिशें होती रहें
हम भी फूलों की तरह भीगा करें

आँख मूँदे उस गुलाबी धूप में
देर तक बैठे उसे सोचा करें

दिल मुहब्बत दीन-दुनिया शायरी
हर दरीचे से तुझे देखा करें

घर नया कपड़े नये बर्तन नये
इन पुराने काग़ज़ों का क्या करें