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"जय राष्ट्रीय निशान / सोहनलाल द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

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जय राष्ट्रीय निशान!!!<br>
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लहर लहर तू मलय पवन में,<br>
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जय राष्ट्रीय निशान!  
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लहर लहर तू मलय पवन में,  
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फहर फहर तू नील गगन में,  
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डिगे न तिल भर अपने प्रण में,हाहाकार मचावें रण में,<br>
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डिगे न तिल भर अपने प्रण में,हाहाकार मचावें रण में,  
जननी की संतान<br>
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जय राष्ट्रीय निशान!  
मस्तक पर शोभित हो रोली,<br>
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बढे शुरवीरों की टोली,<br>
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बढे शुरवीरों की टोली,  
खेलें आज मरण की होली,<br>
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खेलें आज मरण की होली,  
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बूढे और जवान!<br>
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जय राष्ट्रीय निशान!<br>
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जय राष्ट्रीय निशान!  
मन में दीन-दुःखी की ममता,<br>
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मन में दीन-दुःखी की ममता,  
हममें हो मरने की क्षमता,<br>
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हममें हो मरने की क्षमता,  
मानव मानव में हो समता,<br>
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मानव मानव में हो समता,  
धनी गरीब समान<br>
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धनी गरीब समान  
गूंजे नभ में तान<br>
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गूंजे नभ में तान  
जय राष्ट्रीय निशान!<br>
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जय राष्ट्रीय निशान!  
तेरा मेरा मेरुदंड हो कर में,<br>
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तेरा मेरा मेरुदंड हो कर में,  
स्वतन्त्रता के महासमर में,<br>
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स्वतन्त्रता के महासमर में,  
वज्र शक्ति बन व्यापे उस में,<br>
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वज्र शक्ति बन व्यापे उस में,  
दे दें जीवन-प्राण!<br>
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दे दें जीवन प्राण!<br>
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जय राष्ट्रीय निशान!!<br><br>
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जय राष्ट्रीय निशान!!
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09:51, 17 अक्टूबर 2009 का अवतरण

जय राष्ट्रीय निशान!
जय राष्ट्रीय निशान!!!
लहर लहर तू मलय पवन में,
फहर फहर तू नील गगन में,
छहर छहर जग के आंगन में,
सबसे उच्च महान!
सबसे उच्च महान!
जय राष्ट्रीय निशान!!
जब तक एक रक्त कण तन में,

डिगे न तिल भर अपने प्रण में,हाहाकार मचावें रण में,
जननी की संतान
जय राष्ट्रीय निशान!
मस्तक पर शोभित हो रोली,
बढे शुरवीरों की टोली,
खेलें आज मरण की होली,
बूढे और जवान
बूढे और जवान!
जय राष्ट्रीय निशान!
मन में दीन-दुःखी की ममता,
हममें हो मरने की क्षमता,
मानव मानव में हो समता,
धनी गरीब समान
गूंजे नभ में तान
जय राष्ट्रीय निशान!
तेरा मेरा मेरुदंड हो कर में,
स्वतन्त्रता के महासमर में,
वज्र शक्ति बन व्यापे उस में,
दे दें जीवन-प्राण!
दे दें जीवन प्राण!
जय राष्ट्रीय निशान!!