भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"प्रीति करि काहू सुख न लह्यो / सूरदास" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) छो |
|||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
[[Category:पद]] | [[Category:पद]] | ||
+ | <poem> | ||
प्रीति करि काहू सुख न लह्यो। | प्रीति करि काहू सुख न लह्यो। | ||
− | |||
प्रीति पतंग करी दीपक सों आपै प्रान दह्यो।। | प्रीति पतंग करी दीपक सों आपै प्रान दह्यो।। | ||
− | |||
अलिसुत प्रीति करी जलसुत सों¸ संपति हाथ गह्यो। | अलिसुत प्रीति करी जलसुत सों¸ संपति हाथ गह्यो। | ||
− | |||
सारंग प्रीति करी जो नाद सों¸ सन्मुख बान सह्यो।। | सारंग प्रीति करी जो नाद सों¸ सन्मुख बान सह्यो।। | ||
− | |||
हम जो प्रीति करी माधव सों¸ चलत न कछू कह्यो। | हम जो प्रीति करी माधव सों¸ चलत न कछू कह्यो। | ||
− | |||
'सूरदास' प्रभु बिन दुख दूनो¸ नैननि नीर बह्यो।। | 'सूरदास' प्रभु बिन दुख दूनो¸ नैननि नीर बह्यो।। | ||
+ | </poem> |
15:59, 23 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
प्रीति करि काहू सुख न लह्यो।
प्रीति पतंग करी दीपक सों आपै प्रान दह्यो।।
अलिसुत प्रीति करी जलसुत सों¸ संपति हाथ गह्यो।
सारंग प्रीति करी जो नाद सों¸ सन्मुख बान सह्यो।।
हम जो प्रीति करी माधव सों¸ चलत न कछू कह्यो।
'सूरदास' प्रभु बिन दुख दूनो¸ नैननि नीर बह्यो।।