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"मेरो मन अनत कहाँ सुख पावे / सूरदास" के अवतरणों में अंतर
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मेरो मन अनत कहाँ सुख पावै। | मेरो मन अनत कहाँ सुख पावै। | ||
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जैसे उड़ि जहाज की पंछी, फिरि जहाज पै आवै॥ | जैसे उड़ि जहाज की पंछी, फिरि जहाज पै आवै॥ | ||
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कमल-नैन को छाँड़ि महातम, और देव को ध्यावै। | कमल-नैन को छाँड़ि महातम, और देव को ध्यावै। | ||
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परम गंग को छाँड़ि पियासो, दुरमति कूप खनावै॥ | परम गंग को छाँड़ि पियासो, दुरमति कूप खनावै॥ | ||
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जिहिं मधुकर अंबुज-रस चाख्यो, क्यों करील-फल भावै। | जिहिं मधुकर अंबुज-रस चाख्यो, क्यों करील-फल भावै। | ||
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'सूरदास' प्रभु कामधेनु तजि, छेरी कौन दुहावै॥ | 'सूरदास' प्रभु कामधेनु तजि, छेरी कौन दुहावै॥ | ||
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16:58, 23 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
मेरो मन अनत कहाँ सुख पावै।
जैसे उड़ि जहाज की पंछी, फिरि जहाज पै आवै॥
कमल-नैन को छाँड़ि महातम, और देव को ध्यावै।
परम गंग को छाँड़ि पियासो, दुरमति कूप खनावै॥
जिहिं मधुकर अंबुज-रस चाख्यो, क्यों करील-फल भावै।
'सूरदास' प्रभु कामधेनु तजि, छेरी कौन दुहावै॥