भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"राखी बांधत जसोदा मैया / सूरदास" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
}} | }} | ||
[[Category:पद]] | [[Category:पद]] | ||
+ | |||
+ | <poem> | ||
राखी बांधत जसोदा मैया । | राखी बांधत जसोदा मैया । | ||
− | |||
विविध सिंगार किये पटभूषण, पुनि पुनि लेत बलैया ॥ | विविध सिंगार किये पटभूषण, पुनि पुनि लेत बलैया ॥ | ||
− | |||
हाथन लीये थार मुदित मन, कुमकुम अक्षत मांझ धरैया। | हाथन लीये थार मुदित मन, कुमकुम अक्षत मांझ धरैया। | ||
− | |||
तिलक करत आरती उतारत अति हरख हरख मन भैया ॥ | तिलक करत आरती उतारत अति हरख हरख मन भैया ॥ | ||
− | |||
बदन चूमि चुचकारत अतिहि भरि भरि धरे पकवान मिठैया । | बदन चूमि चुचकारत अतिहि भरि भरि धरे पकवान मिठैया । | ||
− | |||
नाना भांत भोग आगे धर, कहत लेहु दोउ मैया॥ | नाना भांत भोग आगे धर, कहत लेहु दोउ मैया॥ | ||
− | |||
नरनारी सब आय मिली तहां निरखत नंद ललैया । | नरनारी सब आय मिली तहां निरखत नंद ललैया । | ||
− | |||
सूरदास गिरिधर चिर जीयो गोकुल बजत बधैया ॥ | सूरदास गिरिधर चिर जीयो गोकुल बजत बधैया ॥ | ||
+ | </poem> |
16:21, 24 अक्टूबर 2009 का अवतरण
राखी बांधत जसोदा मैया ।
विविध सिंगार किये पटभूषण, पुनि पुनि लेत बलैया ॥
हाथन लीये थार मुदित मन, कुमकुम अक्षत मांझ धरैया।
तिलक करत आरती उतारत अति हरख हरख मन भैया ॥
बदन चूमि चुचकारत अतिहि भरि भरि धरे पकवान मिठैया ।
नाना भांत भोग आगे धर, कहत लेहु दोउ मैया॥
नरनारी सब आय मिली तहां निरखत नंद ललैया ।
सूरदास गिरिधर चिर जीयो गोकुल बजत बधैया ॥