भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"भूले स्वाद बेर के / नागार्जुन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: रचनाकार: नागार्जुन Category:कविताएँ Category:नागार्जुन ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ सीता हुई ...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{KKGlobal}} | |
− | + | {{KKRachna | |
− | + | |रचनाकार=नागार्जुन | |
− | + | }} | |
− | + | {{KKCatKavita}} | |
− | + | <Poem> | |
सीता हुई भूमिगत, सखी बनी सूपन खा | सीता हुई भूमिगत, सखी बनी सूपन खा | ||
− | |||
बचन बिसर गए गए देर के सबेर के ! | बचन बिसर गए गए देर के सबेर के ! | ||
− | |||
बन गया साहूकार लंकापति विभीषण | बन गया साहूकार लंकापति विभीषण | ||
− | |||
पा गए अभयदान शावक कुबेर के ! | पा गए अभयदान शावक कुबेर के ! | ||
− | |||
जी उठा दसकंधर, स्तब्ध हुए मुनिगण | जी उठा दसकंधर, स्तब्ध हुए मुनिगण | ||
− | |||
हावी हुआ स्वर्थामरिग कंधों पर शेर के ! | हावी हुआ स्वर्थामरिग कंधों पर शेर के ! | ||
− | |||
बुढ्भंस की लीला है, काम के रहे न राम | बुढ्भंस की लीला है, काम के रहे न राम | ||
− | |||
शबरी न याद रही, भूले स्वाद बेर के ! | शबरी न याद रही, भूले स्वाद बेर के ! | ||
− | + | '''१९६१ में लिखी गई | |
− | १९६१ में लिखी गई | + |
12:24, 25 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
सीता हुई भूमिगत, सखी बनी सूपन खा
बचन बिसर गए गए देर के सबेर के !
बन गया साहूकार लंकापति विभीषण
पा गए अभयदान शावक कुबेर के !
जी उठा दसकंधर, स्तब्ध हुए मुनिगण
हावी हुआ स्वर्थामरिग कंधों पर शेर के !
बुढ्भंस की लीला है, काम के रहे न राम
शबरी न याद रही, भूले स्वाद बेर के !
१९६१ में लिखी गई