भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सितम सिखलाएगा रस्मे-वफ़ा ऐसे नहीं होता / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ |संग्रह= }} Category:ग़ज़ल <poem>सितम सि...) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) छो () |
(कोई अंतर नहीं)
|
19:40, 26 अक्टूबर 2009 का अवतरण
सितम सिखलाएगा रस्मे-वफ़ा ऐसे नहीं होता
सनम1 दिखलाएँगे राहे-ख़ुदा ऐसे नहीं होता
गिनो सब हसरतें जो ख़ूँ हुई हैं तन के मक़तल2 में
मेरे क़ातिल हिसाबे-खूँबहा3, ऐसे नहीं होता
जहाने दिल में काम आती हैं तदबीरें न ताज़ीरें4
यहाँ पैमाने-तललीमो-रज़ा5 ऐसे नहीं होता
हर इक शब हर घड़ी गुजरे क़यामत, यूँ तो होता है
मगर हर सुबह हो रोजे़-जज़ा6, ऐसे नहीं होता
रवाँ है नब्ज़े-दौराँ7, गार्दिशों में आसमाँ सारे
जो तुम कहते हो सब कुछ हो चुका, ऐसे नहीं होता
.........................................
1. मूर्ति, पत्थर 2. हत्यास्थल 3. ख़ून के बदले का हिसाब4. न युक्तियाँ, न सज़ाएँ 5. स्वीकृति की प्रतिज्ञा6. प्रलय का दिन7. युग की धड़कन 8. संकटों