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"देह नृत्यशाला / अशोक चक्रधर" के अवतरणों में अंतर

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अँधेरे उस पेड़ के सहारे
 
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मेरा हाथ
 
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पेड़ की छाल के अन्दर
 
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ऊपर की ओर
 
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कोमल तव्चा पर
 
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थरथराते हुए रेंगा
 
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और जा पहुँचा वहाँ
 
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जहाँ एक शाख निकली थी ।
 
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काँप गई पत्तियाँ
 
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काँप गई टहनी
 
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काँप गया पूरा पेड़ ।
 
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देह नृत्यशाला
 
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आलाप-जोड़-झाला ।
 
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09:51, 28 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

अँधेरे उस पेड़ के सहारे
मेरा हाथ
पेड़ की छाल के अन्दर
ऊपर की ओर
कोमल तव्चा पर
थरथराते हुए रेंगा
और जा पहुँचा वहाँ
जहाँ एक शाख निकली थी ।

काँप गई पत्तियाँ
काँप गई टहनी
काँप गया पूरा पेड़ ।

देह नृत्यशाला
आलाप-जोड़-झाला ।