"जम और जमाई / काका हाथरसी" के अवतरणों में अंतर
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बड़ा भयंकर जीव है , इस जग में दामाद | बड़ा भयंकर जीव है , इस जग में दामाद | ||
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सास - ससुर को चूस कर, कर देता बरबाद | सास - ससुर को चूस कर, कर देता बरबाद | ||
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कर देता बरबाद , आप कुछ पियो न खाओ | कर देता बरबाद , आप कुछ पियो न खाओ | ||
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मेहनत करो , कमाओ , इसको देते जाओ | मेहनत करो , कमाओ , इसको देते जाओ | ||
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कहॅं ‘ काका ' कविराय , सासरे पहुँची लाली | कहॅं ‘ काका ' कविराय , सासरे पहुँची लाली | ||
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भेजो प्रति त्यौहार , मिठाई भर- भर थाली | भेजो प्रति त्यौहार , मिठाई भर- भर थाली | ||
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लल्ला हो इनके यहाँ , देना पड़े दहेज | लल्ला हो इनके यहाँ , देना पड़े दहेज | ||
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लल्ली हो अपने यहाँ , तब भी कुछ तो भेज | लल्ली हो अपने यहाँ , तब भी कुछ तो भेज | ||
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तब भी कुछ तो भेज , हमारे चाचा मरते | तब भी कुछ तो भेज , हमारे चाचा मरते | ||
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रोने की एक्टिंग दिखा , कुछ लेकर टरते | रोने की एक्टिंग दिखा , कुछ लेकर टरते | ||
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‘ काका ' स्वर्ग प्रयाण करे , बिटिया की सासू | ‘ काका ' स्वर्ग प्रयाण करे , बिटिया की सासू | ||
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चलो दक्षिणा देउ और टपकाओ आँसू | चलो दक्षिणा देउ और टपकाओ आँसू | ||
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जीवन भर देते रहो , भरे न इनका पेट | जीवन भर देते रहो , भरे न इनका पेट | ||
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जब मिल जायें कुँवर जी , तभी करो कुछ भेंट | जब मिल जायें कुँवर जी , तभी करो कुछ भेंट | ||
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तभी करो कुछ भेंट , जँवाई घर हो शादी | तभी करो कुछ भेंट , जँवाई घर हो शादी | ||
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भेजो लड्डू , कपड़े, बर्तन, सोना - चाँदी | भेजो लड्डू , कपड़े, बर्तन, सोना - चाँदी | ||
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कहॅं ‘ काका ', हो अपने यहाँ विवाह किसी का | कहॅं ‘ काका ', हो अपने यहाँ विवाह किसी का | ||
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तब भी इनको देउ , करो मस्तक पर टीका | तब भी इनको देउ , करो मस्तक पर टीका | ||
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कितना भी दे दीजिये , तृप्त न हो यह शख़्श | कितना भी दे दीजिये , तृप्त न हो यह शख़्श | ||
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तो फिर यह दामाद है अथवा लैटर बक्स ? | तो फिर यह दामाद है अथवा लैटर बक्स ? | ||
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अथवा लैटर बक्स , मुसीबत गले लगा ली | अथवा लैटर बक्स , मुसीबत गले लगा ली | ||
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नित्य डालते रहो , किंतु ख़ाली का ख़ाली | नित्य डालते रहो , किंतु ख़ाली का ख़ाली | ||
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कहँ ‘ काका ' कवि , ससुर नर्क में सीधा जाता | कहँ ‘ काका ' कवि , ससुर नर्क में सीधा जाता | ||
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मृत्यु - समय यदि दर्शन दे जाये जमाता | मृत्यु - समय यदि दर्शन दे जाये जमाता | ||
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और अंत में तथ्य यह कैसे जायें भूल | और अंत में तथ्य यह कैसे जायें भूल | ||
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आया हिंदू कोड बिल , इनको ही अनुकूल | आया हिंदू कोड बिल , इनको ही अनुकूल | ||
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इनको ही अनुकूल , मार कानूनी घिस्सा | इनको ही अनुकूल , मार कानूनी घिस्सा | ||
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छीन पिता की संपत्ति से , पुत्री का हिस्सा | छीन पिता की संपत्ति से , पुत्री का हिस्सा | ||
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‘ काका ' एक समान लगें , जम और जमाई | ‘ काका ' एक समान लगें , जम और जमाई | ||
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फिर भी इनसे बचने की कुछ युक्ति न पाई | फिर भी इनसे बचने की कुछ युक्ति न पाई | ||
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00:18, 29 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
बड़ा भयंकर जीव है , इस जग में दामाद
सास - ससुर को चूस कर, कर देता बरबाद
कर देता बरबाद , आप कुछ पियो न खाओ
मेहनत करो , कमाओ , इसको देते जाओ
कहॅं ‘ काका ' कविराय , सासरे पहुँची लाली
भेजो प्रति त्यौहार , मिठाई भर- भर थाली
लल्ला हो इनके यहाँ , देना पड़े दहेज
लल्ली हो अपने यहाँ , तब भी कुछ तो भेज
तब भी कुछ तो भेज , हमारे चाचा मरते
रोने की एक्टिंग दिखा , कुछ लेकर टरते
‘ काका ' स्वर्ग प्रयाण करे , बिटिया की सासू
चलो दक्षिणा देउ और टपकाओ आँसू
जीवन भर देते रहो , भरे न इनका पेट
जब मिल जायें कुँवर जी , तभी करो कुछ भेंट
तभी करो कुछ भेंट , जँवाई घर हो शादी
भेजो लड्डू , कपड़े, बर्तन, सोना - चाँदी
कहॅं ‘ काका ', हो अपने यहाँ विवाह किसी का
तब भी इनको देउ , करो मस्तक पर टीका
कितना भी दे दीजिये , तृप्त न हो यह शख़्श
तो फिर यह दामाद है अथवा लैटर बक्स ?
अथवा लैटर बक्स , मुसीबत गले लगा ली
नित्य डालते रहो , किंतु ख़ाली का ख़ाली
कहँ ‘ काका ' कवि , ससुर नर्क में सीधा जाता
मृत्यु - समय यदि दर्शन दे जाये जमाता
और अंत में तथ्य यह कैसे जायें भूल
आया हिंदू कोड बिल , इनको ही अनुकूल
इनको ही अनुकूल , मार कानूनी घिस्सा
छीन पिता की संपत्ति से , पुत्री का हिस्सा
‘ काका ' एक समान लगें , जम और जमाई
फिर भी इनसे बचने की कुछ युक्ति न पाई