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"फ़ल्सफ़े इश्क़ में पेश आये / सुदर्शन फ़ाकिर" के अवतरणों में अंतर

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फ़ल-सफ़े इश्क़ में पेश आये सवालों की तरह<br>  
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फ़ल्सफ़े इश्क़ में पेश आये सवालों की तरह<br>  
 
हम परेशाँ ही रहे अपने ख़यालों की तरह <br><br>
 
हम परेशाँ ही रहे अपने ख़यालों की तरह <br><br>
  

15:51, 26 नवम्बर 2006 का अवतरण

रचनाकार: सुदर्शन फ़ाकिर

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फ़ल्सफ़े इश्क़ में पेश आये सवालों की तरह
हम परेशाँ ही रहे अपने ख़यालों की तरह

शीशागर बैठे रहे ज़िक्र-ए-मसीहा लेकर
और हम टूट गये काँच के प्यालों की तरह

जब भी अंजाम-ए-मुहब्बत ने पुकार ख़ुद को
वक़्त ने पेश किया हम को मिसालों की तरह

ज़िक्र जब होगा मुहब्बत में तबाही का कहीं
याद हम आयेंगे दुनिया को हवालों की तरह