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"वार्ता:धूरि भरे अति सोहत स्याम जू / रसखान" के अवतरणों में अंतर

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जी.के. अवधिया
 
जी.के. अवधिया
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मैं अवधिया जी से सहमत हूँ। बदलाव कर देना चाहिये।

23:54, 27 नवम्बर 2006 का अवतरण

"काग के भाग कहा कहिये" के स्थान पर वास्तव में "काग के भाग बड़े सजनी" है। क्योंकि कवि रसखान के अनुसार इस कविता में वर्णित सारी बातें एक सखी अपनी दूसरी सखी से कह रही है। अतः आवश्यक सुधार कर देना चाहिये।

जी.के. अवधिया

मैं अवधिया जी से सहमत हूँ। बदलाव कर देना चाहिये।