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"कोमल अमल दल कमल नवल कैँधौँ / अज्ञात कवि (रीतिकाल)" के अवतरणों में अंतर
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कोमल अमल दल कमल नवल कैँधौँ , | कोमल अमल दल कमल नवल कैँधौँ , |
23:12, 1 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
कोमल अमल दल कमल नवल कैँधौँ ,
कीन्होँ है विरँचि सब छवि को सहेट है ।
उदित प्रभाकर की दुति आनि छाई कैधौँ ,
चमकत चारु खात लोचन रपेट है ।
सुँदर थली है भली मदन बिराजिबे की ,
जाके सम कीन्हेँ होत उपमा तरेट है ।
चीकनो परम मखमल ते नरम ऎसो ,
प्यारीजू को पेट लेत मन को लपेट है ।
रीतिकाल के किन्हीं अज्ञात कवि का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल महरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।