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"उल्फ़त का जब किसी ने / सुदर्शन फ़ाकिर" के अवतरणों में अंतर
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उल्फ़त का जब किसी ने लिया नाम रो पड़े <br> | उल्फ़त का जब किसी ने लिया नाम रो पड़े <br> |
18:29, 25 सितम्बर 2008 का अवतरण
उल्फ़त का जब किसी ने लिया नाम रो पड़े
अपनी वफ़ा का सोच के अंजाम रो पड़े
हर शाम ये सवाल मुहब्बत से क्या मिला
हर शाम ये जवाब के हर शाम रो पड़े
राह-ए-वफ़ा में हमको ख़ुशी की तलाश थी
दो गाम ही चले थे के हर गाम रो पड़े
रोना नसीब में है तो औरों से क्या गिला
अपने ही सर लिया कोई इल्ज़ाम रो पड़े