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"ज़ख़्म जो आप की इनायत है / सुदर्शन फ़ाकिर" के अवतरणों में अंतर
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22:39, 20 मार्च 2007 का अवतरण
रचना संदर्भ | रचनाकार: | सुदर्शन फ़ाकिर | |
पुस्तक: | प्रकाशक: | ||
वर्ष: | पृष्ठ संख्या: |
ज़ख़्म जो आप की इनायत है इस निशानी को नाम क्या दे हम
प्यार दीवार बन के रह गया है इस कहानी को नाम क्या दे हम
आप इल्ज़ाम धर गये हम पर एक एहसान कर गये हम पर
आप की ये मेहरबानी है मेहरबानी को नाम क्या दे हम
आपको यूँ ही ज़िन्दगी समझा धूप को हमने चाँदनी समझा
भूल ही भूल जिस की आदत है इस जवानी को नाम क्या दे हम
रात सपना बहार का देखा दिन हुआ तो ग़ुबार सा देखा
बेवफ़ा वक़्त बेज़ुबाँ निकला बेज़ुबानी को नाम क्या दे हम