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घंटी / कुंवर नारायण

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मैंने कहा- मैं नहीं हूँ
:::और करवट बदल कर सो गया
अलार्म की घंती घंटी बजी
मैंने कहा- मैं नहीं हूँ
:::और करवट बदल कर सो गया
मौत की घंटी बजी...
हड़बड़ा कर उठ बैठा-
मैं हूँ- ... मैं हूँ- ... मैं हूँ..
:::मौत ने कहा-
:::करवट बदल कर सो जाओ।
</poem>
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