भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पूंजी / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) छो |
|||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह=पुतली में संसार / अरुण कमल | |संग्रह=पुतली में संसार / अरुण कमल | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
+ | <poem> | ||
न पहाड़ों के गीत थे मेरे पास | न पहाड़ों के गीत थे मेरे पास | ||
− | |||
न घाटियों दर्रों के | न घाटियों दर्रों के | ||
− | |||
न सागर नदियों के गीत थे | न सागर नदियों के गीत थे | ||
− | |||
न नाविक मछुआरों के, | न नाविक मछुआरों के, | ||
− | |||
मैं तो मैदानों खेतों का रहनवार | मैं तो मैदानों खेतों का रहनवार | ||
− | |||
थोड़े से बोल थे बग़ीचे बघारों के । | थोड़े से बोल थे बग़ीचे बघारों के । | ||
+ | </poem> |
13:27, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
न पहाड़ों के गीत थे मेरे पास
न घाटियों दर्रों के
न सागर नदियों के गीत थे
न नाविक मछुआरों के,
मैं तो मैदानों खेतों का रहनवार
थोड़े से बोल थे बग़ीचे बघारों के ।