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"आत्मकथा / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर
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न लेखक गृह का एकान्त | न लेखक गृह का एकान्त | ||
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न अनुदान वृत्ति का अभ्यास | न अनुदान वृत्ति का अभ्यास | ||
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जितनी देर में सिंझेगा भात | जितनी देर में सिंझेगा भात | ||
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बस उतना ही है अवकाश । | बस उतना ही है अवकाश । | ||
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चलते चलते डालनी चप्पल | चलते चलते डालनी चप्पल | ||
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गिरते हँफ़ते उठाना राग, | गिरते हँफ़ते उठाना राग, | ||
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ख़ड़े मंच पर पात्र तैय्यार | ख़ड़े मंच पर पात्र तैय्यार | ||
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शेष अभी लिखना सम्वाद । | शेष अभी लिखना सम्वाद । | ||
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कैसे सिल पर घिसूँ जायफ़ल | कैसे सिल पर घिसूँ जायफ़ल | ||
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तेल ठोप भर, ज़्यादा गाद । | तेल ठोप भर, ज़्यादा गाद । | ||
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13:28, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
न लेखक गृह का एकान्त
न अनुदान वृत्ति का अभ्यास
जितनी देर में सिंझेगा भात
बस उतना ही है अवकाश ।
चलते चलते डालनी चप्पल
गिरते हँफ़ते उठाना राग,
ख़ड़े मंच पर पात्र तैय्यार
शेष अभी लिखना सम्वाद ।
कैसे सिल पर घिसूँ जायफ़ल
तेल ठोप भर, ज़्यादा गाद ।