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"ग़ज़ल / प्रताप सहगल" के अवतरणों में अंतर
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जब भी तुमने किया गिला होगा | जब भी तुमने किया गिला होगा | ||
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फूल पत्थर में उग के लहराया | फूल पत्थर में उग के लहराया | ||
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यार अपना यहीं मिला होगा | यार अपना यहीं मिला होगा | ||
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बन्द घाटी में शोर पंछी का | बन्द घाटी में शोर पंछी का | ||
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गुल कहीं दूर पर खिला होगा | गुल कहीं दूर पर खिला होगा | ||
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दूर कुछ संतरी खड़े से दिखे | दूर कुछ संतरी खड़े से दिखे | ||
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किसी लीडर का यह किला होगा | किसी लीडर का यह किला होगा | ||
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02:09, 6 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
जब भी तुमने किया गिला होगा
इक समन्दर वहीं हिला होगा
बात कुछ यूँ भी वही और यूँ भी
अपना ऐसा ही सिलसिला होगा
फूल पत्थर में उग के लहराया
यार अपना यहीं मिला होगा
बन्द घाटी में शोर पंछी का
गुल कहीं दूर पर खिला होगा
दूर कुछ संतरी खड़े से दिखे
किसी लीडर का यह किला होगा