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"न वन में न मन में / अवतार एनगिल" के अवतरणों में अंतर
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बारिश बरसी | बारिश बरसी |
22:14, 6 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
बारिश बरसी
धूप भी चमकी
फिर भी वह सतरंगा जादू
न वन में
न मन में
कभी सफेद
कभी काले वन
तिरछे चले प्यादे
राजा और वजीर के मारे
हम हारे
इस रण में
नीले, पीले, लाल हरों ने
ऐसे खेल दिखाए
बस हम कैदी बनकर रह गए
अपने ही
उपवन में
अम्बर के दूजे कोने पर
इन्द्र्धनुष तो निकला
फिर भी वह बेचारा गिरकर
टूट गया
आँगन में