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"पौर्वात्य निरंकुश्ता / असद ज़ैदी" के अवतरणों में अंतर

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कम ग़रीब है तो उसने देखा है पूरा ज़िला
 
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सिर्फ़ अनाचारी ज़ालिमों ने देखे हैं राष्ट्र और राज्य
 
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लाए हैं वे ही देशभक्ति की नई तरकीब जो
 
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लोगों को गाजर और मूली में बदलती है
 
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बदलती है गरीब को सूखे अचार में
 
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अंग्रेज़ों को भी भारत बड़ा भारतीय नज़र आया था
 
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नज़र आने लगा है जैसा अचानक
 
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अब हिन्दी के कुछ अख़बारनवीसों को
 
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19:06, 8 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

जो ग़रीब है उसे अपने गाँव से आगे कुछ पता नहीं
कम ग़रीब है तो उसने देखा है पूरा ज़िला
सिर्फ़ अनाचारी ज़ालिमों ने देखे हैं राष्ट्र और राज्य
लाए हैं वे ही देशभक्ति की नई तरकीब जो
लोगों को गाजर और मूली में बदलती है
बदलती है गरीब को सूखे अचार में

अंग्रेज़ों को भी भारत बड़ा भारतीय नज़र आया था
नज़र आने लगा है जैसा अचानक
अब हिन्दी के कुछ अख़बारनवीसों को