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"कुछ न किसी से बोलेंगे / फ़राज़" के अवतरणों में अंतर

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कुछ न किसी से बोलेंगे
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तन्हाई में रो लेंगे
  
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हम बेरहबरों का क्या
तन्हाई में रो लेंगे<br><br>
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साथ किसी के हो लेंगे
  
हम बेरहबरों का क्या <br>
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ख़ुद तो हुए रुसवा लेकिन
साथ किसी के हो लेंगे<br><br>
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तेरे भेद न खोलेंगे
  
ख़ुद तो हुए रुसवा लेकिन<br>
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जीवन ज़हर भरा साग़र
तेरे भेद न खोलेंगे<br><br>
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कब तक अमृत घोलेंगे
  
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नींद तो क्या आयेगी "फ़राज़"
कब तक अमृत घोलेंगे<br><br>
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मौत आई तो सो लेंगे
 
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नींद तो क्या आयेगी "फ़राज़"<br>
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मौत आई तो सो लेंगे<br><br>
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20:13, 8 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

कुछ न किसी से बोलेंगे
तन्हाई में रो लेंगे

हम बेरहबरों का क्या
साथ किसी के हो लेंगे

ख़ुद तो हुए रुसवा लेकिन
तेरे भेद न खोलेंगे

जीवन ज़हर भरा साग़र
कब तक अमृत घोलेंगे

नींद तो क्या आयेगी "फ़राज़"
मौत आई तो सो लेंगे