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"जो दर्द मिटते मिटते भी मुझको मिटा गया / आरज़ू लखनवी" के अवतरणों में अंतर
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अब तक चारासाज़िये-चश्मेकरम है याद। | अब तक चारासाज़िये-चश्मेकरम है याद। | ||
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00:19, 10 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
जो दर्द मिटने-मिटते भी मुझको मिटा गया।
क्या उसका पूछना कि कहाँ था कहाँ न था॥
अब तक चारासाज़िये-चश्मेकरम है याद।
फाहा वहाँ लगाते थे, चरका जहाँ न था॥