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"वह बोल रही थी / उदयन वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर
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वह बोल रही थी | वह बोल रही थी |
22:42, 10 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
वह बोल रही थी
वह उसके वाक्यों से व्याकरण की
ग़लतियों को चुन-चुन कर
आकाश में एक ख़ास तरतीब से जमाता जा रहा था
चुपचाप
अब न जाने कब सूर्योदय होगा
अब न जाने कब नींद के अदृश्य रेशों से
वह बाहर झाँकेगी और पढ़ेगी
आकाश के विजन में उच्चारित
एक प्रेम-वाक्य !