भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कविता मेरी / कैलाश गौतम" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
लेखक: [[कैलाश गौतम]]
+
{{KKGlobal}}
[[Category:कैलाश गौतम]]
+
{{KKRachna
[[Category:कविताएँ]]
+
|रचनाकार=कैलाश गौतम
[[Category:गीत]]
+
|संग्रह=
 +
}}
  
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
 
  
 
आलंबन, आधार यही है, यही सहारा है
 
आलंबन, आधार यही है, यही सहारा है

19:03, 17 अप्रैल 2008 का अवतरण


आलंबन, आधार यही है, यही सहारा है

कविता मेरी जीवन शैली, जीवन धारा है


यही ओढ़ता, यही बिछाता

यही पहनता हूं

सबका है वह दर्द जिसे मैं

अपना कहता हूं

देखो ना तन लहर-लहर

मन पारा-पारा है।


पानी सा मैं बहता बढ़ता

रुकता मुड़ता हूं

उत्सव सा अपनों से

जुड़ता और बिछुड़ता हूं

उत्सव ही है राग हमारा

प्राण हमारा है।


नाता मेरा धूप छांह से

घाटी टीलों से

मिलने ही निकला हूं

घर से पर्वत-झीलों से

बिना नाव-पतवार धार में

दूर किनारा है।