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"अब बुज़ुर्गों के / उर्मिलेश" के अवतरणों में अंतर
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अब बुज़ुर्गों के फ़साने नहीं अच्छे लगते | अब बुज़ुर्गों के फ़साने नहीं अच्छे लगते | ||
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मेरे बच्चों को ये ताने नहीं अच्छे लगते।। | मेरे बच्चों को ये ताने नहीं अच्छे लगते।। | ||
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बेटियाँ जबसे बड़ी होने लगी हैं मेरी। | बेटियाँ जबसे बड़ी होने लगी हैं मेरी। | ||
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मुझको इस दौर के गाने नहीं अच्छे लगते।। | मुझको इस दौर के गाने नहीं अच्छे लगते।। | ||
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उम्र कम दिखने के नुस्ख़े तो कई हैं लेकिन। | उम्र कम दिखने के नुस्ख़े तो कई हैं लेकिन। | ||
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आइनों को ये बहाने नहीं अच्छे लगते।। | आइनों को ये बहाने नहीं अच्छे लगते।। | ||
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उसको तालीम मिली डैडी-ममी के युग में। | उसको तालीम मिली डैडी-ममी के युग में। | ||
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उसको माँ-बाप पुराने नहीं अच्छे लगते।। | उसको माँ-बाप पुराने नहीं अच्छे लगते।। | ||
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अब वो महंगाई को फ़ैशन की तरह लेता है। | अब वो महंगाई को फ़ैशन की तरह लेता है। | ||
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अब उसे सस्ते ज़माने नहीं अच्छे लगते।। | अब उसे सस्ते ज़माने नहीं अच्छे लगते।। | ||
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हमने अख़बार को पढ़कर ये कहावत यों कही। | हमने अख़बार को पढ़कर ये कहावत यों कही। | ||
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'दूर के ढोल सुहाने' नहीं अच्छे लगते।। | 'दूर के ढोल सुहाने' नहीं अच्छे लगते।। | ||
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दोस्तो, तुमने वो अख़लाक हमें बख्शा है। | दोस्तो, तुमने वो अख़लाक हमें बख्शा है। | ||
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अब हमें दोस्त बनाने नहीं अच्छे लगते।। | अब हमें दोस्त बनाने नहीं अच्छे लगते।। | ||
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20:39, 13 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
अब बुज़ुर्गों के फ़साने नहीं अच्छे लगते
मेरे बच्चों को ये ताने नहीं अच्छे लगते।।
बेटियाँ जबसे बड़ी होने लगी हैं मेरी।
मुझको इस दौर के गाने नहीं अच्छे लगते।।
उम्र कम दिखने के नुस्ख़े तो कई हैं लेकिन।
आइनों को ये बहाने नहीं अच्छे लगते।।
उसको तालीम मिली डैडी-ममी के युग में।
उसको माँ-बाप पुराने नहीं अच्छे लगते।।
अब वो महंगाई को फ़ैशन की तरह लेता है।
अब उसे सस्ते ज़माने नहीं अच्छे लगते।।
हमने अख़बार को पढ़कर ये कहावत यों कही।
'दूर के ढोल सुहाने' नहीं अच्छे लगते।।
दोस्तो, तुमने वो अख़लाक हमें बख्शा है।
अब हमें दोस्त बनाने नहीं अच्छे लगते।।