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"सावन के बादलों की तरह से भरे हुए / सौदा" के अवतरणों में अंतर
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+ | ’सौदा’ निकल न घर से कि अब तुझको ढूँढते | ||
+ | लड़के फिरें हैं पत्थरों से दामन भरे हुए | ||
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20:47, 13 नवम्बर 2009 का अवतरण
सावन के बादलों की तरह से भरे हुए
वे नैन हैं कि जिससे ये जंगल हरे हुए
इंसाफ़ अपना सौंपिए किसको बजुज़-ख़ुदा
मुंसिफ़ जो बोलते हैं सो तुझसे डरे हुए
’सौदा’ निकल न घर से कि अब तुझको ढूँढते
लड़के फिरें हैं पत्थरों से दामन भरे हुए