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"सावन के बादलों की तरह से भरे हुए / सौदा" के अवतरणों में अंतर

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ढाया मैं तिरे काबे को, तैं मेरा दिल ऐ शैख़
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सावन के बादलों की तरह से भरे हुए
तामीर मैं करूँ उसे, तैं इसको बनावै
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वे नैन हैं कि जिससे ये जंगल हरे हुए
ऐ ख़िज़्र, ज़-ख़ुद-रफ़्तगी, क्या तुर्फ़ा सफ़र है
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इंसाफ़ अपना सौंपिए किसको बजुज़-ख़ुदा
जिसमें कि भूलें, न कोई राह बतावै
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मुंसिफ़ जो बोलते हैं सो तुझसे डरे हुए
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’सौदा’ निकल घर से कि अब तुझको ढूँढते
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लड़के फिरें हैं पत्थरों से दामन भरे हुए
 
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20:47, 13 नवम्बर 2009 का अवतरण

सावन के बादलों की तरह से भरे हुए
वे नैन हैं कि जिससे ये जंगल हरे हुए
इंसाफ़ अपना सौंपिए किसको बजुज़-ख़ुदा
मुंसिफ़ जो बोलते हैं सो तुझसे डरे हुए
’सौदा’ निकल न घर से कि अब तुझको ढूँढते
लड़के फिरें हैं पत्थरों से दामन भरे हुए