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"आह किस तरह तिरी राह मैं घेरूँ कि कोई / सौदा" के अवतरणों में अंतर

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21:19, 14 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

आह किस तरह तिरी राह मैं घेरूँ कि कोई
सद्दे-रह हो न सके उम्र चली जाती का
ये कहा शैख़ ने शैताँ से कि आ, हमसे मिल
आशना मत हो तू ’सौदा’ से ख़राबाती का
कहा उनने कि है मेरी तो सआदत इसमें
लेक है ख़ौफ़ मुझे आपकी बदज़ाती का