"सितारों से आगे जहाँ और भी हैं / इक़बाल" के अवतरणों में अंतर
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− | तेरे सामने आसमाँ और भी हैं | + | तेरे सामने आसमाँ और भी हैं |
− | इसी रोज़-ओ-शब में उलझ कर न रह जा | + | इसी रोज़-ओ-शब <ref> सुबह -शाम के चक्कर</ref>में उलझ कर न रह जा |
− | के तेरे ज़मीन-ओ-मकाँ | + | के तेरे ज़मीन-ओ-मकाँ <ref> धरती और मकान</ref>और भी हैं |
− | गए दिन | + | गए दिन के तन्हा था मैं अंजुमन <ref> महफ़िल</ref>में<br> |
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21:11, 15 नवम्बर 2009 का अवतरण
सितारों के आगे जहाँ और भी हैं
अभी इश्क़<ref>प्रेम</ref> के इम्तिहाँ<ref>परीक्षाएँ</ref> और भी हैं
तही ज़िन्दगी से नहीं ये फ़ज़ायें
यहाँ सैकड़ों कारवाँ और भी हैं
क़ना'अत<ref>संतोष </ref>न कर आलम-ए-रंग-ओ-बू<ref> इन्द्रीय संसार</ref>पर
चमन और भी, आशियाँ<ref> घरौंदे</ref>और भी हैं
अगर खो गया एक नशेमन तो क्या ग़म
मक़ामात-ए-आह-ओ-फ़ुग़ाँ<ref> रोने-धोने की जगहें</ref>और भी हैं
तू शाहीं<ref>शाहीन,गिद्ध </ref>है परवाज़<ref> उड़ना</ref>है काम तेरा
तेरे सामने आसमाँ और भी हैं
इसी रोज़-ओ-शब <ref> सुबह -शाम के चक्कर</ref>में उलझ कर न रह जा
के तेरे ज़मीन-ओ-मकाँ <ref> धरती और मकान</ref>और भी हैं
गए दिन के तन्हा था मैं अंजुमन <ref> महफ़िल</ref>में
यहाँ अब मेरे राज़दाँ <ref> रहस्य जानने वाले</ref>और भी हैं