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"भजन बिना नरफीको / मीराबाई" के अवतरणों में अंतर
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18:47, 10 दिसम्बर 2006 का अवतरण
रचनाकार: मीराबाई
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आज मोहिं लागे वृन्दावन नीको।।
घर-घर तुलसी ठाकुर सेवा, दरसन गोविन्द जी को।।१।।
निरमल नीर बहत जमुना में, भोजन दूध दही को।
रतन सिंघासण आपु बिराजैं, मुकुट धरयो तुलसी को।।२।।
कुंजन कुंजन फिरत राधिका, सबद सुणत मुरली को।
"मीरा" के प्रभु गिरधर नागर, भजन बिना नर फीको।।३।।