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"लड़कियाँ उदास है / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर

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21:10, 18 नवम्बर 2009 का अवतरण

फिर वही नर्म हवा
वही आहिस्ता सफ़र मौज ए सबा
घर के दरवाज़े पे नन्ही सी हथेली रक्खे
मुन्तज़िर है
कि किसी सम्त से आवाज़ की ख़ुशबू आए
सब्ज़ बेलों के खुनक साए से कंगन की खनक
सुर्ख़ फूलों की सजल छाँव से पायल की छनक
कोई आवाज़ बनाम मौसम
और फिर मौज-ए-हवा मौजा-ए-ख़ुशबू की वो अलबेली सखी
कच्ची उम्रों के नए जज्बों की सरशारी से पागल बरखा
धानी आँचल में शफ़करेज़ सलोना चेहरा
कासनी चुनरी बदन भीगा हुआ
पुश्त पर गीले मगर आग लगाते गेसू
भूरी आँखों में दमकता हुआ गहरा कजरा
रक्स करती हुई रिमझिम के मधुर ताल के ज़ेर-ओ-बम पर
झूमती नुक र ई पाज़ेब बजाती हुई आँगन में उतर आई है
थाम कर हाथ ये कहती है
मिरे साथ चलो लड़कियाँ