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"गिरिफ़्ता-दिल हैं बहुत / नासिर काज़मी" के अवतरणों में अंतर
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गिरिफ़्ता-दिल हैं बहुत आज तेरे दीवाने <br> | गिरिफ़्ता-दिल हैं बहुत आज तेरे दीवाने <br> | ||
ख़ुदा करे कोई तेरे सिवा न पहचाने <br><br> | ख़ुदा करे कोई तेरे सिवा न पहचाने <br><br> | ||
− | मिटी मिटी सी उम्मीदें थके थके से ख़याल <br> | + | मिटी-मिटी सी उम्मीदें थके-थके से ख़याल <br> |
− | बुझे बुझे से निगाहों में ग़म के अफ़साने <br><br> | + | बुझे-बुझे से निगाहों में ग़म के अफ़साने <br><br> |
हज़ार शुक्र के हम ने ज़ुबाँ से कुछ न कहा <br> | हज़ार शुक्र के हम ने ज़ुबाँ से कुछ न कहा <br> | ||
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ख़याल आ गया मायूस रहगुज़ारों का <br> | ख़याल आ गया मायूस रहगुज़ारों का <br> | ||
− | पलट के आ गये | + | पलट के आ गये मंज़िल से तेरे दीवाने <br><br> |
− | कहाँ है तू के तेरे | + | कहाँ है तू के तेरे इंतज़ार में ऐ दोस्त <br> |
तमाम रात सुलगते रहे दिल के वीराने <br><br> | तमाम रात सुलगते रहे दिल के वीराने <br><br> | ||
उम्मीद-ए-पुर्सिश-ए-ग़म किस से कीजिये "नासिर"<br> | उम्मीद-ए-पुर्सिश-ए-ग़म किस से कीजिये "नासिर"<br> | ||
जो मेरे दिल पे गुज़रती है कोई क्या जाने <br><br> | जो मेरे दिल पे गुज़रती है कोई क्या जाने <br><br> |
04:03, 28 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
गिरिफ़्ता-दिल हैं बहुत आज तेरे दीवाने
ख़ुदा करे कोई तेरे सिवा न पहचाने
मिटी-मिटी सी उम्मीदें थके-थके से ख़याल
बुझे-बुझे से निगाहों में ग़म के अफ़साने
हज़ार शुक्र के हम ने ज़ुबाँ से कुछ न कहा
ये और बात के पूछा न अहल-ए-दुनिया ने
बक़द्र-ए-तश्नालबी पुर्सिश-ए-वफ़ा न हुई
छलक के रह गये तेरी नज़र के पैमाने
ख़याल आ गया मायूस रहगुज़ारों का
पलट के आ गये मंज़िल से तेरे दीवाने
कहाँ है तू के तेरे इंतज़ार में ऐ दोस्त
तमाम रात सुलगते रहे दिल के वीराने
उम्मीद-ए-पुर्सिश-ए-ग़म किस से कीजिये "नासिर"
जो मेरे दिल पे गुज़रती है कोई क्या जाने