भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सियहकार थे बासफ़ा हो गए हम / हसरत मोहानी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= हसरत मोहानी }} category: ग़ज़ल <poem> सियहकार<ref >पापी</ref> थ…)
(कोई अंतर नहीं)

13:01, 5 दिसम्बर 2009 का अवतरण

सियहकार<ref >पापी</ref> थे बासफ़ा<ref >पवित्र</ref> हो गए हम
तेरे इश्क़ में क्या से क्या हो गए हम

न जाना कि शौक़ और भड़केगा मेरा
वो समझे कि उससे जुदा हो गए हम

उन्हें रंज अब क्यों हुआ? हम तो ख़ुश हैं
कि मरकर शहीदे-वफ़ा हो गए हम

तेरी फ़िक्र का मुब्तला<ref >फँसा हुआ</ref> हो गया दिल
मगर क़ैदे-ग़म से रिहा हो गए हम

शब्दार्थ
<references/>



तुफ़ैले-इश्क<ref >प्रेम का फल</ref> है 'हसरत' ये सब मेरे नज़दीक तेरे कमाल की शोहरत जो दूर-दूर हुई

</poem>

शब्दार्थ
<references/>