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"हाले-मजबूरिए-दिल की निगरां ठहरी है / हसरत मोहानी" के अवतरणों में अंतर
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14:03, 5 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
हाले-मजबूरिए-दिल<ref >दिल की मजबूरी की हालत</ref> की निगराँ<ref >देखने वाली</ref> ठहरी है
देखना वह निगहे-नाज़ कहाँ ठहरी है
यार बे-नामो-निशाँ था सो उसी निस्बत से
लज़्ज़ते-इश्क़ भी बे-नामो-निशाँ ठहरी है
ख़ैर गुज़री कि न पहुँची तेरे दर तक वर्ना
आह ने आग लगा दी है जहाँ ठहरी है
दुश्मने-शौक़ कहे और तुझे सौ बार कहे
इसमें ठहरेगी न 'हसरत' की ज़बाँ ठहरी है
शब्दार्थ
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