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"तुम रत्न-दीप की रूप-शिखा / नरेन्द्र शर्मा" के अवतरणों में अंतर
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− | तुम दुबली-पतली दीपक की लौ-सी सुन्दर | + | {{KKCatKavita}} |
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− | मैं दुर्निवार | + | तुम दुबली-पतली दीपक की लौ-सी सुन्दर |
− | मैं तुम्हें समेटे हूँ सौ-सौ बाहों में, मेरी ज्योति प्रखर | + | मैं अंधकार |
− | आपुलक गात में मलय-वात | + | मैं दुर्निवार |
− | मैं चिर-मिलनातु जन्मजात | + | मैं तुम्हें समेटे हूँ सौ-सौ बाहों में, मेरी ज्योति प्रखर |
− | तुम लज्जाधीर शरीर-प्राण | + | आपुलक गात में मलय-वात |
− | थर्-थर् कम्पित ज्यों स्वर्ण-पात | + | मैं चिर-मिलनातु जन्मजात |
− | कँपती छायावत्, रात, काँपते तम प्रकाश अलिंगन भर | + | तुम लज्जाधीर शरीर-प्राण |
− | आँखे से ओझल ज्योति-पात्र | + | थर्-थर् कम्पित ज्यों स्वर्ण-पात |
− | तुम गलित स्वर्ण की क्षीण धार | + | कँपती छायावत्, रात, काँपते तम प्रकाश अलिंगन भर |
− | स्वर्गिक विभूति उतरीं भू पर | + | आँखे से ओझल ज्योति-पात्र |
− | साकार हुई छवि निराकार | + | तुम गलित स्वर्ण की क्षीण धार |
− | तुम स्वर्गंगा, मैं गंगाधर, उतरो, प्रियतर, सिर आँखों पर | + | स्वर्गिक विभूति उतरीं भू पर |
− | नलकी में झलका अंगारक | + | साकार हुई छवि निराकार |
− | बूँदों में गुरू-उसना तारक | + | तुम स्वर्गंगा, मैं गंगाधर, उतरो, प्रियतर, सिर आँखों पर |
− | शीतल शशि ज्वाला की लपटों से | + | नलकी में झलका अंगारक |
− | वसन, दमकती द्युति चम्पक | + | बूँदों में गुरू-उसना तारक |
− | तुम रत्न-दीप की रूप-शिखा, तन स्वर्ण प्रभा कुसुमित अम्बर< | + | शीतल शशि ज्वाला की लपटों से |
+ | वसन, दमकती द्युति चम्पक | ||
+ | तुम रत्न-दीप की रूप-शिखा, तन स्वर्ण प्रभा कुसुमित अम्बर | ||
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12:12, 8 दिसम्बर 2009 का अवतरण
तुम दुबली-पतली दीपक की लौ-सी सुन्दर
मैं अंधकार
मैं दुर्निवार
मैं तुम्हें समेटे हूँ सौ-सौ बाहों में, मेरी ज्योति प्रखर
आपुलक गात में मलय-वात
मैं चिर-मिलनातु जन्मजात
तुम लज्जाधीर शरीर-प्राण
थर्-थर् कम्पित ज्यों स्वर्ण-पात
कँपती छायावत्, रात, काँपते तम प्रकाश अलिंगन भर
आँखे से ओझल ज्योति-पात्र
तुम गलित स्वर्ण की क्षीण धार
स्वर्गिक विभूति उतरीं भू पर
साकार हुई छवि निराकार
तुम स्वर्गंगा, मैं गंगाधर, उतरो, प्रियतर, सिर आँखों पर
नलकी में झलका अंगारक
बूँदों में गुरू-उसना तारक
शीतल शशि ज्वाला की लपटों से
वसन, दमकती द्युति चम्पक
तुम रत्न-दीप की रूप-शिखा, तन स्वर्ण प्रभा कुसुमित अम्बर