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"अब भी / संज्ञा सिंह" के अवतरणों में अंतर

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03:26, 18 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

पेड़ के
आख़िरी पात की तरह
हिलना चाह रहा है
कोई विचार

बरसात के
आख़िरी बादल की तरह
उठाना चाह रहा है
कोई सपना

ज़िन्दगी की
आख़िरी साँस की तरह
आना चाह रही है
कोई उम्मीद


रचनाकाल : 1994, जौनपुर