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"हम मश्रिक़ के मुसलमानों का दिल / इक़बाल" के अवतरणों में अंतर
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हम मशरिक़ के मुसलमानों का दिल मग़रिब में जा अटका है<br> | हम मशरिक़ के मुसलमानों का दिल मग़रिब में जा अटका है<br> |
01:23, 2 जून 2008 के समय का अवतरण
हम मशरिक़ के मुसलमानों का दिल मग़रिब में जा अटका है
वहाँ कुंतर सब बिल्लोरी है, यहाँ एक पुराना मटका है
इस दौर में सब मिट जायेंगे, हाँ बाक़ी वो रह जायेगा
जो क़ायम अपनी राह पे है, और पक्का अपनी हट का है
अए शैख़-ओ-ब्रह्मन सुनते हो क्या अह्ल-ए-बसीरत कहते हैं
गर्दों ने कितनी बुलंदी से उन क़ौमों को दे पटका है