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"प्रतिप्रेम / शलभ श्रीराम सिंह" के अवतरणों में अंतर

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19:36, 20 दिसम्बर 2009 का अवतरण

वह कि जिसकी मौत कभी नहीं होती
निर्दोष और निर्विकार है जो
किसी भी शरीर में रहे
किसी भी रूप में
किसी के पास
चिंता क्यों होती है उसको लेकर
क्यों होती है शंका अपने अहित की?

हित ही सधा न हो जिससे
कैसे करेगा अहित?
किसी भी शरीर में
किसी भी रूप में
किसी के भी पास रहकर
है तो निर्दोष
है तो निर्विकार
वह कि जिसकी मौत कभी नहीं होती।


रचनाकाल : 1991, विदिशा