भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हमारी धरती कहाँ है? / शलभ श्रीराम सिंह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शलभ श्रीराम सिंह |संग्रह=उन हाथों से परिचित हूँ…) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) छो ("हमारी धरती कहाँ है? / शलभ श्रीराम सिंह" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))) |
(कोई अंतर नहीं)
|
01:31, 24 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
मुआवज़ा लेकर
गाँव छोड़ देने को तैयार हैं लोग
देश छोड़ देंगे मुआवज़ा लेकर एक दिन।
गाँव और देश को इस तरह बेचने वाले लोग
कहाँ से आ गए हैं
हमारी दुनिया में?
कहाँ से आ गए हैं
गाँव और देश के ख़रीददार
माँ और माटी के इन सौदागरों को
किस धरती ने जन्म दिया है आख़िर?
क्या इसी धरती ने ?
फिर यह धरती हमारी कहाँ रही?
हम किस धरती को अपनी कहकर पुकारें?
हमें जन्म देने वाली
हमारी धरती कहाँ है इस धरती के भीतर?
इसी सवाल में तब्दील होता जा रहा हूँ मैं
उन तमाम लोगों की तरह
जो इसी सवाल में तब्दील होते जा रहे हैं |
रचनाकाल : 1991, नई दिल्ली