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"पुन: एक की गिनती से / कुंवर नारायण" के अवतरणों में अंतर
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+ | सुगठित और अकाट्य हो | ||
जीवन-विवेक। | जीवन-विवेक। | ||
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15:57, 26 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
कुछ इस तरह भी पढ़ी जा सकती है
एक जीवन-दृष्टि-
कि उसमें विनम्र अभिलाषाएं हों
बर्बर महत्वाकांक्षाएं नहीं,
वाणी में कवित्व हो
कर्कश तर्क-वितर्क का घमासान नहीं,
कल्पना में इंद्रधनुषों के रंग हों
ईर्ष्या द्वेष के बदरंग हादसे नहीं,
निकट सम्बंधों के माध्यम से
बोलता हो पास-पड़ोस
और एक सुभाषित, एक श्लोक की तरह
सुगठित और अकाट्य हो
जीवन-विवेक।