भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हमराही / बढ़ते चलो, बढ़ते चलो, बढ़ते चलो जवानो" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
छो () |
|
(कोई अंतर नहीं)
|
16:03, 26 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
रचनाकार: मुंशी जाकिर् हुसैन् |
बढ़ते चलो, बढ़ते चलो, बढ़ते चलो जवानो।
ऎ देश के सपूतो! मज़दूर और किसानो।।
है रास्ता भी रौशन और सामने है मंज़िल।
हिम्मत से काम लो तुम आसान होगी मुश्किल।।
कर के उसे दिखा दो, जो अपने दिल में ठानो।
बढ़ते चलो, बढ़ते चलो, बढ़ते चलो जवानो।।
भूखे महाजनों ने, ले रखे हैं इजारे।
जिनके सितम से लाखों फिरते हैं मारे-मारे।।
हैं देश के ये दुश्मन! इनको न दोस्त जानो।
बढ़ते चलो, बढ़ते चलो, बढ़ते चलो जवानो।।