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"एक आदमी दो पहाड़ों को कुहनियों से ठेलता / शमशेर बहादुर सिंह" के अवतरणों में अंतर

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पूरब से पच्छिम को एक कदम से नापता
 
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बढ़ रहा है
 
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कितनी ऊंची घासें चांद-तारों को छूने-छूने को हैं
 
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जिनसे घुटनों को निकालता वह बढ़ रहा है
 
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अपनी शाम को सुबह से मिलाता हुआ
 
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फिर क्यों
 
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दो बादलों के तार
 
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उसे महज उलझा रहे हैं?
 
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(1956 में रचित,'कुछ कवितायें' कविता-संग्रह से )
 
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15:06, 27 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

एक आदमी दो पहाड़ों को कोहनियों से ठेलता
पूरब से पच्छिम को एक कदम से नापता
बढ़ रहा है

कितनी ऊंची घासें चांद-तारों को छूने-छूने को हैं
जिनसे घुटनों को निकालता वह बढ़ रहा है
अपनी शाम को सुबह से मिलाता हुआ

फिर क्यों
दो बादलों के तार
उसे महज उलझा रहे हैं?

(1956 में रचित,'कुछ कवितायें' कविता-संग्रह से )